डॉ बिनायक सेन आज जमानत पर रिहा
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आज २५ मई २००९ को, प्रख्यात बाल चिकित्सक एवं जोनाथन मॅन पुरुस्कार (२००८) से सम्मानित डॉ बिनायक सेन को २ साल से भी अधिक की क़ैद से रिहा किया गया।
१४ मई २००९ को प्रख्यात बाल चिकित्सक एवं जोनाथन मॅन पुरुस्कार (२००८) से सम्मानित डॉ बिनायक सेन को, माओवादी संपर्क के झूठे आरोप के कारण, रायपुर जेल में २ साल पूरे हो गए थे। डॉ बिनायक सेन एक कर्मठ चिकित्सक एवं सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं जो पिछले ३० सालों से छत्तीसगढ़ के सबसे गरीब एवं शोषित तबके के स्वास्थ्य एवं मानवाधिकारों के लिए संघर्षरत हैं. डॉ बिनायक सेन को जेल में कैद रखना नि:संदेह छत्तीसगढ़ में व्याप्त घनघोर सामाजिक अन्याय एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का संकेत बनता जा रहा था.
देश के अनेक शहरों में १४ मई २००९ को मोमबत्ती जला कर नागरिकों ने डॉ बिनायक सेन की रिहाई की मांग की थी। लखनऊ में वात्सल्य, सहयोग, उत्तर प्रदेश वोलनटरी हैल्थ असोसिएशन, समाधान, हैल्थ-वाच, आशा परिवार, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एन.ए.पी.एम्), हमसफ़र एवं लोक राजनीति मंच की ओर से हजरतगंज चौराहे पर प्रदर्शन एवं मोमबत्ती जला कर डॉ बिनायक सेन पर लगाये गए झूठे आरोपों के कारणवश जेल में २ साल पूरे होने पर, उनकी रिहाई की मांग की गयी थी।
रायपुर, छत्तीसगढ़ में डॉ बिनायक सेन छत्तीसगढ़ स्पेशल पब्लिक सिक्यूरिटी एक्ट २००५ के तहत जेल में क़ैद थे. यह क्रूर कानून न केवल सरकार को बिना किसी लोकतांत्रिक करवाई के निर्णय पर पहुचने का अधिकार देता है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार के माने हुए उसूलों को भी नकारता है. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबरटीस (PUCL) छत्तीसगढ़ के महा-सचिव डॉ बिनायक सेन ने प्रदेश सरकार द्वारा प्रायोजित सलवा जुदुम का खुलासा कर के रख दिया था जो संवैधानिक व्यवस्था से बाहर हिंसा को मान्यता देता है और आदिवासी को आदिवासी के ही विरोध में खड़ा करने पर मजबूर कर देता है.
दुनिया भर के तमाम लोगों ने डॉ बिनायक सेन को जमानत पर रिहा करने की मांग की थी जो आज पूरी हो गई हैं परन्तु दो मुख्य मांगे अभी भी बाकि हैं: क्रूर कानून - छत्तीसगढ़ स्पेशल पब्लिक सिक्यूरिटी एक्ट २००५ को निरस्त किया जाए क्योंकि इसी कानून की आड़ में प्रदेश सरकार द्वारा भयावही मानवाधिकारों के उल्लंघन होते हैं और सलवा जुदुम को समाप्त किया जाए।