तम्बाकू महामारी का अनुपात

तम्बाकू महामारी का अनुपात

(१) तम्बाकू का प्रयोग , वैश्विक स्तर पर, रोग और मृत्यु का प्रमुख, परन्तु रोका जा सकने वाला कारण है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू प्रयोग के कारण, दुनिया भर में ५४ लाख लोग प्रति वर्ष अपनी जान गंवाते हैं।

(२) इनमें से ९ लाख मौतें तो केवल भारत में ही होती हैं। प्रति दिन, हमारे देश के २५०० व्यक्ति तम्बाकू की वजह से मृत्यु का शिकार होते हैं।

(३) मुख के कैंसर के सबसे अधिक रोगी भारत में पाये जाते हैं तथा ९०% मुंह का कैंसर तम्बाकू जनित होता है. हमारे देश में ४०% कैंसर तम्बाकू के प्रयोग के कारण ही होते हैं।

(४) अनुमान है कि सन २०१० के अंत तक भारत में लगभग १० लाख व्यक्ति धूम्रपान के कारण मृत्यु का शिकार होंगें, और २०२० तक १३% मौतों की जिम्मेदार तम्बाकू ही होगी।

(५) सन २००६ के विश्व युवा तम्बाकू सर्वेक्षण के अनुसार, प्रति दिन ५५०० भारतीय युवक धूम्रपान करना शुरू करते हैं।

(६) तम्बाकू जनित रोगों का स्वास्थ्य व्यय, तम्बाकू से होने वाली आय से कहीं अधिक है। एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में सिगरेट और बीड़ी पीने से होने वाली बीमारियों का चिकित्सा व्यय ४५३५ करोड़ रुपये है, और गुटका, ज़र्दा, खैनी आदि धुंआ रहित तम्बाकू पदार्थों के लिए यह व्यय १४२५ करोड़ रुपये आँका गया है।
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इसको इंडियन सोसाइटी अगेंस्ट स्मोकिंग, आशा परिवार द्वारा प्रकाशित एवं वितरित किया गया है

Credits: We acknowledge the financial contribution received from Bloomberg Initiative to Reduce Tobacco use and technical contribution received from HRIDAY on behalf of Advocacy Forum for Tobacco Control - AFTC (Delhi)