मलेशिया के सर्जनों (शल्यचिकित्सकों) के लिए प्रोफ़ेसर डॉ रमा कान्त का बवासीर इलाज पर व्याख्यान
छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष एवं प्रख्यात सर्जन प्रोफ़ेसर (डॉ) रमा कान्त को मलेशिया के मलयविश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर ने बवासीर पर विशिष्ठ व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया है।
प्रोफ़ेसर (डॉ) रमा कान्त कई सालों से नवीन विधियों (डी.जी.एच.ए.एल और आर.ए.आर) से बवासीर या पाइल्स का उपचार कर रहे हैं। वें आस्ट्रिया के विश्व-विख्यात बवासीर उपचार एवं शोध केन्द्र में प्रशिक्षित भी हैं।
प्रोफ़ेसर (डॉ) रमा कान्त मलेशिया में "डी.जी.एच.ए.एल और आर.ए.आर विधियों द्वारा बवासीर के उपचार में क्रांति" पर मलय विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग में व्याख्यान देंगे।
१९६५ में स्थापित मलय विश्वविद्यालय, मलेशिया की राजधानी कुआला लुम्पूर में एक सर्वोत्तम चिकित्सा शास्त्र का केन्द्र है।
"५०-७० साल की उम्र के लोगों में विशेषकर पाइल्स या बवासीर होने की सम्भावना ५०-८५% तक हो सकती है" कहना है प्रोफ़ेसर (डॉ) रमा कान्त का, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा २००५ में पुरुस्कृत भी हैं।
प्रोफ़ेसर डॉ रमा कान्त पिछले साल असोसिएशन ऑफ़ सर्जन्स ऑफ़ इंडिया (उत्तर प्रदेश) के अध्यक्ष चुने गए थे। वें लखनऊ कॉलेज ऑफ़ सर्जन्स के अध्यक्ष भी हैं।
"कई ज्ञात जीवनशैली और पोषण से जुड़े हुए कारण हैं जिनसे बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है" प्रोफ़ेसर (डॉ) रमा कान्त ने बताया।