तपेदिक या टीबी समाचार: २ मई २००८

तपेदिक या टीबी समाचार
मई २००८

कैरिबियन द्वीपों में त्रिनिदाद और टोबागो नमक देश के विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा नही है कि शोषण और बीमारियाँ एच.आई.वी के बाद दुनिया में आए हैं और लोगों को अब चेतने की आवश्यकता है। एच.आई.वी के पहले भी, सदियों पहले भी, रोगों से संबंधित शोषण होता रहा है और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए समाज ने चुनौती का सामना किया है।

विशेषज्ञों
ने कहा कि सदियों पहले सिफिलिस (syphilis) या गोनोरेया (gonorrhea) से अत्यधिक शोषण और बहिष्कार जुडा हुआ था। जिसको यह यौन रोग हो जाए उसको अति बहिष्कार और शरम से जूझना पड़ता था। लोगों को आत्म-ग्लानी से आत्महत्या तक करनी पड़ती थी। परन्तु फ्रांस में यह कहा जाता था कि यदि राज-घराने के लोगों को syphilis या गोनोरेया न हो तो वह "'राज' घराने में पैदा नही हुए हैं" क्योकि इन यौन रोगों को पुरूष की यौन शक्ति और अनेकों लोगों से यौन सम्बन्ध कायम करने का हस्ताक्षर माना जाता था। परन्तु फ्रांस के बाहर लगभग हर देश में यौन रोगों से शोषण, बहिष्कार और शरम जुड़ी रही है, और काफी हद तक आज भी जुड़ी हुई है।

टीबी या तपेदिक से भी शोषण और बहिष्कार जुडा रहा है। कुष्ठ रोग से भी शोषण और बहिष्कार जुडा रहा है। जिन लोग एच.आई.वी के साथ जीवित हैं उनमें तपेदिक या टीबी की जांच करना भी समस्या है क्योकि इनमें अधिकांश सीने से बाहर वाली टीबी या तपेदिक होती है (एक्स्ट्रा-पुल्मोनारी टीबी)। त्रिनिदाद और टोबागो के एक विशेषज्ञ बताते है कि एक एच.आई.वी से संक्रमित व्यक्ति जिसको सिर्फ़ बुखार था, उसमे टीबी या तपेदिक की जांच करने पर भी टीबी का पता नही चल पा रहा था। एक्स-रे करने पर भी टीबी या तपेदिक का कोई पता नही था। जब इस व्यक्ति की हड्डी के 'मैरो' की बैओपसी द्वारा जांच की गई तब जा के टीबी या तपेदिक का ज्ञान हुआ। जिन लोग एच.आई.वी के साथ संक्रमित हैं, उनमें टीबी या तपेदिक की जांच के लिए नए वैकल्पिक जांच के यंत्रों की आवश्यकता है, कहना है विशेषज्ञों का।

कुवैत में कच्चा दूध प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योकि गाय-भैसों में होने वाली टीबी या तपेदिक से लोगों में टीबी या तपेदिक फ़ैल रही थी। यदि गाय-भैसों को टीबी या तपेदिक हो तो कच्चा दूध पीने से या जानवर के सम्पर्क में आने से मनुष्य को टीबी या तपेदिक फ़ैल सकती है। यदि इस दूध को पस्तयूरैज़ कर दिया जाए तो टीबी या तपेदिक फैलने का खतरा नगण्य हो जाता है।
कुवैत में जिस भी गाय भैस को टीबी या तपेदिक निकल रही है उसको मार दिया जा रहा है जिससे कि टीबी या तपेदिक नियंत्रण प्रभावकारी हो सके।