निर्मला देशपांडे जी नहीं रहीं

निर्मला देशपांडे जी नहीं रहीं

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, राज्य सभा की सदस्य, और गाँधीवादी विचारों की धारक निर्मला देशपांडे अब इस दुनिया में नही रहीं।

७९ साल के उम्र में १ मई २००८ को सुबह उनका देहांत हो गया। निर्मला जी जिनको लोग प्रेम और सम्मान से दीदी कहते थे, पिछले कुछ दिनों से बीमार थी परन्तु संसद नियम से जा रही थी और मंगलवार २९ अप्रैल २००८ को धनबाद से लौटी थीं।

राजश्री, जो दीदी के काफी करीब थीं, उनका कहना है कि दीदी की मृत्यु नींद में ही हो गई। मंगलवार को उन्होंने पेट की कुछ समस्याओं का जिक्र किया था और शाम से उनको बुखार भी था।

दीदी को २००६ में पदमभूषण से नवाजा गया था।

१७ अक्टूबर १९२९ को नागपुर में उनका जनम हुआ था, और वो १९५२ में विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन से जुड़ी हुई थी। भूदान आन्दोलन में दीदी ने ४०,००० किलो मीटर की पदयात्रा पूरी की थी।

दीदी ने कई प्रमुख किताबें लिखी थी जिनमें विनोबा के साथ, क्रांति की राह पर, चिन्ग्लिंग, सीमांत, और विनोबा शामिल हैं।

दीदी के पार्थिव शरीर का क्रियाक्रम शुक्रवार को सुबह किया जाएगा (२ मई २००८).