तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ४३
१४ मई २००८
दिल्ली में १२ मई २००८ को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल और विश्व स्वास्थ्य संगठन के संयुक्त तत्वावधान में बीड़ी के ऊपर एक व्यापक रपट का विमोचन हुआ है (बीड़ी मोनोग्राफ).
इस रपट के अनुसार भारत में लगभग १० करोड़ बीड़ी के रूप में तम्बाकू सेवन करने वाले लोग हैं, और इनमें से २ लाख लोग प्रतिवर्ष तपेदिक या टीबी से मृत्यु को प्राप्त होते हैं.
इस रपट से साफ है की बीड़ी पीने की वजह से २ लाख लोगों की मृत्यु टीबी या तपेदिक से होती है. तम्बाकू और तपेदिक का सम्बन्ध पहले से स्थापित तो है परन्तु मृत्यु दर इतना अधिक होना निश्चय ही चिंताजनक बात है.
फरवरी २००८ में भी एक रपट के अनुसार भारत में तम्बाकू-जनित मृत्यु का सबसे बड़ा कारण कैंसर नही टीबी या तपेदिक निकल के आया था.
किसी भी रूप में तम्बाकू सेवन से जान लेवा रोग होने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है. जरुरत है जन-स्वास्थ्य कार्यक्रमों को अधिक सक्रिय होने की और आपस में मिलजुल के कार्य करने की.
टीबी या तपेदिक नियंतरण कार्यक्रम, तम्बाकू नियंतरण कार्यक्रम और अन्य जन स्वास्थ्य कार्यक्रम अलग-अलग आख़िर कब तक चलते रहेंगे? कुछ तो तालमेल होना चाहिए!
उदाहरण के तौर पर जो टीबी या तपेदिक के रोगी हैं उनको तम्बाकू नशा उन्मूलन परामर्श और सुविधाएँ टीबी या तपेदिक की क्लीनिक में क्यो नही मिलती हैं?
तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लिनिक में जिन लोगों को टीबी या तपेदिक होने का संशय है, उनकी जांच क्यो नही की जा सकती जिससे टीबी या तपेदिक के रोगियों का सही समय से परीक्षण हो पाये और उचित इलाज भी.