"यदि हमें तम्बाकू के बुरे प्रभावों का पता होता तो शायद आज मैं अपने आप को फेफडे की बीमारी से बचा सकता था " इस मलिन बस्ती में रहने वाले ४० वर्षीय राम कुमार ने इस संवाददाता से कहा. राम कुमार अपने १० वर्षीय पोलियो से ग्रसित बच्चे के साथ रहते हैं।
हर साल ५४ लाख से अधिक लोग तम्बाकू जनित जान लेवा बिमारिओं की वजह से मौत के शिकार हो जातें हैं। यदि तम्बाकू का सेवन इसी तरह से बढ़ता रहा तो २०३० तक यह अनुपात करीब ८० लाख हो जाएगा।
तम्बाकू विश्व का चौथा मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। जो कम्पनियाँ इन पदार्थों के जानलेवा स्वरूप से भलीभांति परिचित है उसके बाद भी तम्बाकू के भ्रामक विज्ञापन के जरिये लाखों बच्चों , युवाओं और महिलाओं को हकीकत छुपाते हुए ग्लेमौर और फैशन आदि के विज्ञापनों द्वारा नशा ग्रस्त कराती है वह न तो जिम्मेदार ठहराई जाती हैं और न ही जवाब देह।
इस अवसर पर 'इंडियन सोसिएटी अगेन्स्ट स्मोकिंग' (ISAS) के कार्यक्रम समन्वयक रितेश आर्या ने जो कि दस साल तक ख़ुद भी तम्बाकू का सेवन कर चुके हैं, ने बताया कि "तम्बाकू २६ प्रकार से भी अधिक जानलेवा बिमारिओं का जनक है"। उनका कहना था कि तम्बाकू में मौजूद तत्व निकोटीन अधिक नशीला होता है, इसलिए इस नशे को त्यागने में लोग अक्सर असफल हो जातें हैं। उन्होंने बताया की दृढ़ इच्छा शक्ति से ही नशे को छोडा जा सकता है।
इस कार्यक्रम में स्कूल के करीब १०० बच्चों ने जो कि इन मलिन बस्तियों में रहतें हैं, के साथ-साथ उनके माता-पिता तथा आस - पास के और भी लोगों ने भाग लिया । कार्यक्रम के दौरान कई बच्चों नें यह स्वीकार किया कि अक्सर हम लोग भी गुटका इत्यादि का सेवन कर लेते है क्योंकि वह अपने माता - पिता तथा आस - पास के और लोगों को ऐसा करते हुए देखते हैं।
कार्यक्रम के दौरान अभिनव भारत फाउंडेशन के प्रवक्ता राहुल द्विवेदी ने बताया कि "तम्बाकू एक धीमा जहर है जिसे जड़ से मिटाना जरूरी है।"
कार्यक्रम के दौरान बिभिन स्कूलों और विश्व विद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया।
यह कार्यक्रम, इंडियन सोसिएटी अगेन्स्ट स्मोकिंग या भारतीय तम्बाकू नियंत्रण संगठन, अभिनव भारत फाउंडेशन, समाधान, आशा परिवार, लखनऊ के चिकित्सा विश्वविद्यालय की तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लीनिक, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस आदि के संयुक्त प्रयास से आयोजित हुआ था।
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