विश्व तम्बाकू निषेध दिवस
३१ मई २००८
केंद्रीय विचार: तम्बाकू मुक्त युवा
कोई दो राय नही है कि तम्बाकू विश्व में सबसा बड़ा ऐसा मृत्यु का कारण है जिससे पूरी तरह बचाव मुमकिन है।
यह एकमात्र ऐसा उत्पाद है जो यदि इसको बनाने वाली कंपनियों के निर्देश के अनुसार भी इस्तिमाल किया जाए, तब भी घातक होगा।
दुनिया के करीब १ अरब नवयुवकों में ८५ प्रतिशत विकासशील देशों में निवास करतें हैं। इन नवयुवकों को बचपन से ही तम्बाकू जनित बीमारियों का खतरा रहता है । तम्बाकू कंपनिओं के सबसे बड़े लक्ष्य हैं अवयस्क युवक जिनको तम्बाकू की लत लगा कर जिंदगी भर के लिए नशेडी बनाया जा सकता है।
नवयुवकों में तम्बाकू के प्रयोग को रोकने का सबसे प्रभावकारी तरीका है कि तम्बाकू के भ्रामक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर पूर्णतय: प्रतिबन्ध लगा दिया जाए तथा तम्बाकू कंपनिओं द्वारा प्रायोजित किसी भी सार्वजनिक समारोह पर भी प्रतिबन्ध लगा हो।
केन्द्र बिन्दु
इस साल का विश्व तम्बाकू निषेध दिवस निम्न बिन्दुओं पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा:
- तम्बाकू के उत्पाद का भ्रामक बाजारीकरण, इसके अप्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष विज्ञापन तम्बाकू कंपनियों द्वारा प्रायोजित किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना। तम्बाकू उत्पाद के भ्रामक विज्ञापन, प्रोत्साहन कम दामों पर आसानी से लोगों तक इसकी उपलब्धता आदि से इसके उत्पादों की संख्या आसानी से बढ़ती जा रही है। तम्बाकू उत्पाद के भ्रामक प्रचार- प्रसार की मुख्य गतिविधियाँ अवयस्क युवाओं को केन्द्र में रखकर की जाती हैं। क्योकि यह युवा इसके सबसे बड़े ग्राहक होते हैं। तम्बाकू कंपनिया अपने मौत के समान के विज्ञापन पर करीब दस अरब रूपये सालाना खर्च करतीं हैं।
इस विज्ञापन के पीछे इन कंपनियों का सीधा मकसद अपने उत्पाद के उपयोग के लिए नये ग्राहकों को तैयार करना है क्योकि हर साल लाखों लोग तम्बाकू के उपयोग से मरते हैं। तम्बाकू कंपनिया अपने उत्पादों के प्रत्यक्ष विज्ञापनों के लिए विभिन्न माध्यमों का सहारा लेतीं हैं। जैसे रेडियो, पत्र- पत्रिकाएं, बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स, सीधे तौर पर मेल द्वारा, कूपन के द्वारा, ब्रांड आधारित कार्यक्रमों के आयोजन के द्वारा, किसी बड़े मनोरंजन कार्यक्रमों में प्रायोजन के द्वारा, ऐसे स्थानों को जहाँ शहरी युवा वर्ग ज्यादा एकत्रित हों वहाँ अपने उत्पादों के विज्ञापन आदि द्वारा।
एक आवाज सक्रिय होने के लिए : विश्व में सिर्फ़ ५ प्रतिशत जनसंख्या इस तरह की है जो ऐसे देशों में रहती है जहाँ तम्बाकू के उत्पादों के विज्ञापन और इसके प्रोत्साहन पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा हुआ है।
विश्व स्तर पर बच्चों की आधी जनसंख्या पर तम्बाकू के उत्पाद के निःशुल्क वितरण पर किसी तरह का प्रतिबन्ध नही है। आज यहाँ रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा का सबसे ज्यादा प्रभावकारी तरीका किसी भी देश के लिए यह हो सकता है कि वह अपने यहाँ तम्बाकू उत्पाद के विज्ञापन प्रोत्साहन और इसके द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दे।
सिर्फ़ और सिर्फ़ पूर्ण और व्यापक प्रतिबन्ध ही नए तम्बाकू सेवन करने वालों के दर को कम कर सकते हैं। राष्ट्र स्तर पर कराये गए शोध से यह पता चलता है कि तम्बाकू पर व्यापक प्रतिबन्ध लगा देने से इसके उपयोग में दस प्रतिशत की कमी आई है।
एक आवाज तम्बाकू उत्पाद के विज्ञापनों, इसके प्रचार- प्रसार और प्रयोजन पर १०० प्रतिशत रोकथाम के लिए :
** नीति निर्माताओं को शामिल करना :- नीति निर्माताओं में इस बात की जागरूकता पैदा करना कि सिर्फ़ स्वैच्छिक नीतियों द्वारा ही तम्बाकू कंपनियों के भ्रामक विज्ञापन पर प्रतिबन्ध नही लगाया जा सकता है। नीति निर्माताओं को इस बात की भी जानकारी देना कि तम्बाकू का खतरा विकासशील देशों में ज्यादा है जहाँ विश्व की कुल उपभोगताओं में से एक तिहाई निवास करते हैं।
** स्थान आधारित अवसरों पर प्रतिबन्ध : जैसे इंटरनेट के द्वारा इसके बिक्री, वेंडिंग मशीन के प्रयोग पर प्रतिबन्ध तथा नए - नए तम्बाकू के छोटे दुकानों आदि पर प्रतिबन्ध जो की युवओं को लुभाने आदि के लिए बनाये जातें हैं ।
** तम्बाकू उत्पाद के भ्रामक पैकेजिंग आदि पर प्रतिबन्ध :- अक्सर तम्बाकू कम्पनियाँ अपने उत्पाद के पैकेटों पर विभिन्न तरीके के भ्रामक स्लोगन आदि का इस्तेमाल करती हैं । जैसे ' लाईट ' माइल्ड' ' लो टार' आदि । इसके साथ गुटखा "विभिन्न स्वादों में उपलब्ध है" इत्यादि जैसे कथन पर भी प्रतिबन्ध लगाना क्योंकि इस तरह की युक्तियाँ भी युवाओं को इसके प्रयोग के लिए लुभाती हैं।
तम्बाकू की वैकल्पिक कीमतें: तम्बाकू की कम्पनियाँ अपने उत्पाद के ज्यादा से ज्यादा बिक्री के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं आदि लाती हैं जैसे किड्स पैक आदि। तम्बाकू कंपनिया अपने कई लाख ग्राहकों को जो कि या तो तम्बाकू के द्वारा होने वाली बीमारिओं से मर जातें हैं या फिर किसी अन्य प्रभाव में आकर इसका उपयोग बंद कर देते हैं।
ऐसे में नए ग्राहकों को तैयार करना इनका सबसे बड़ा लक्ष्य होता है।महिलाओं में बढ़ते तम्बाकू के स्वरूप ने विश्व में एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। यद्यपि कई सारे देशों में महिलाएं परम्परागत रूप से तम्बाकू का सेवन नहीं करती हैं और पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में तम्बाकू का सेवन लगभग एक चौथाई कम है किंतु तम्बाकू कंपनिया इन महिलाओं को भी अपने उत्पादों के ज्यादा से ज्यादा प्रयोग की तरफ़ रिझाने में लगीं हैं।