तपेदिक या टीबी समाचार २२
अंक ५०
गुरूवार, २२ मई २००८
'स्केलिंग अप, सेविंग लाइव्स' या Scaling up, Saving lives नामक रपट कल २१ मई २००८ को विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व स्वास्थ्यकर्मियों के संगठन के संयुक्त तत्वावधान में विश्व स्वास्थ्य असेम्बली के दौरान विमोचित हुई है.
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इस रपट से यह स्पष्ट है कि दुनिया में स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या में कमी बढ़ती ही जा रही है. पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्यकर्मी प्रशिक्षित भी नही हो रहे हैं. विश्व स्तर पर, खासकर कि विकासशील देशों में रोग नियंतरण पर इसके भीषण परिणाम होने की सम्भावना है.
एड्स जर्नल के ११ मई २००८ के अंक में प्रकाशित इस शोध के अनुसार यदि टीबी या तपेदिक के उपचार की अवधी कम कर दी जाए तो जिन छेत्रों में एच.आई.वी का अनुपात अधिक है, वहाँ पर न केवल टीबी या तपेदिक जनित मृत्यु दर में गिरावट आती है बल्कि नए टीबी या तपेदिक से संक्रमित लोगों की संख्या भी कम हो जाती है. यह लाभ और अधिक बढ़ जायेंगे यदि टीबी या तपेदिक की जाँच अधिक की जाए और लोग इलाज पूरी तरह से और पूरी अवधि तक लें. इस शोध में गणित पर आधारित मॉडल के द्वारा यह निष्कर्ष निकाला गया था. एड्स जर्नल, अंतर्राष्ट्रीय एड्स सोसिएटी द्वारा प्रकाशित की जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रपट (वर्ल्ड हैल्थ स्तातिस्टिक २००८ या विश्व के स्वास्थ्य आकडें २००८) १९ मई २००८ को विमोचित हुई है.
इस रपट से साफ जाहिर है कि विश्व में आने वाले सालों में संक्रामक रोगों से मृत्यु दर कम और क्रोनिक या लंबे-देखभाल वाले गैर-संक्रामक रोगों का अनुपात बढ़ता जाएगा.
उदाहरण के तौर पर टीबी या तपेदिक, एच.आई.वी, मलेरिया, दस्त आदि की तुलना में ह्रदय रोगों, मधुमेह, तम्बाकू जनित कु-प्रभावों आदि का कही ज्यादा अनुपात होगा.
जिस प्रकार की जीवनशैली लोग अपना रहे हैं, वह इन गैर संक्रामक रोगों की जनक है. उदाहरण के तौर पर शराब और तम्बाकू के सेवन को सामाजिक स्वीकृति मिलने से, विशेषकर कि महिलाओं द्वारा शराब या तम्बाकू सेवन करने को सामाजिक स्वीकृति मिलने से, और बच्चों/ युवाओं का फास्ट-फ़ूड आदि के सेवन से जो बीमारियाँ हो रही हैं, उनमें से अधिकांश से पूर्णत: बचाव मुमकिन है.
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