तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ५५
शनिवार, ३१ मई २००८
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (३१ मई २००८) को हर साल मनाया जाता है. डॉ निल्स बिल्लो, जो तपेदिक या तप नियंत्रण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संगठन के अध्यक्ष हैं (IUATLD), उनके अनुसार "लोगों को तम्बाकू के जान लेवा प्रकोप के बारे में जागरूक करना अति आवश्यक है. तम्बाकू से इस शताब्दी में लगभग १ अरब लोगों की मरने की सम्भावना है. हर तम्बाकू जनित मृत्यु को रोका जा सकता है, इससे बचाव मुमकिन है".
इसी संस्थान ने भारत के ५ शहरों को धूम्रपान रहित बनाने के लिये 'निकोटीन मोनिटर' आयत किए हैं. विश्व की प्रसिद्ध जॉन होप्किंस विश्वविद्यालय ने १६० निकोटीन मोनिटर भारत को नि:शुल्क दिए हैं जिससे कि यह ५ शहर २०१० से पहले धूम्रपान रहित बन सके. इन शहरों में, दिल्ली, अहमदाबाद, चंडीगढ़, मुम्बई और चेन्नई शामिल हैं. चंडीगढ़ भारत का पहला शहर है जो सफतापूर्वक धूम्रपान रहित बन सका है. यह १६० निकोटीन मोनिटर अब इस संगठन के दिल्ली कार्यालय में पहुँच गए हैं.
अमरीका के सैनिकों को अब तपेदिक या टीबी की 'झूठी' महामारी झेलनी पड़ रही है. अमरीकी सैनिक जो अफगानिस्तान और इराक जैसे देशों में तैनात हैं, जहाँ पर अमरीका की तुलना में टीबी या तपेदिक का दर कहीं अधिक है, उनकी टीबी या तपेदिक के परीक्षण की जांच अक्सर झूठे ही पोसिटिव आ जाती है. टीबी या तपेदिक की प्रारंभिक जांच की कुशलता इस बात पर निर्भर करती है कि समुदाय में टीबी या तपेदिक का अनुपात कितना है. इसीलिए यह झूठे टीबी या तपेदिक के नतीजे आ रहे हैं, जिसका आर्थिक भर सरकार को झेलना पड़ रहा है.
दक्षिण अफ्रीका में बोवैन टीबी या तपेदिक, या ऐसी टीबी या तपेदिक जो गाय-भैंसों में होती है, की रोकधाम के लिये २००४ में ७,००० गाय-भैंसों को मार दिया गया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया है की कृषि मंत्रालय को उन किसानों को हर्जाना देना चाहिए जिनकी गाय-भैंसों को टीबी या तपेदिक की रोकधाम के लिये मार दिया गया था.
ग्रेनाडा में स्वास्थ्यकर्मी इसलिए चिंतित हैं क्योकि अब अस्पताल में टीबी या तपेदिक के रोगियों के लिये कोई अलग से वार्ड नही है. यानि कि जो पहले टीबी या तपेदिक के विशेष अस्पताल थे, अब उनको खत्म कर के इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि सामान्य अस्पताल में ही इन रोगियों का इलाज किया जाए. स्वास्थ्यकर्मी इसलिए चिंतित हैं क्योकि अस्पताल में संक्रमण के रोकधाम के लिये पर्याप्त इंतजाम नही हैं.