तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
९ मई २००८
कनाडा अभी तक इस संशय में था कि गाय-भैंस में होने वाली बोविन टीबी या तपेदिक कनाडा से ख़त्म हो चुकी है, और कनाडा की सरहद के बाहर के देशों में ही यह बोविन टीबी पायी जाती है।
परन्तु कल कनाडा में भी एक ६ वर्षीया गाय के बोविन टीबी निकल आई है। जिस तरह से टीबी या तपेदिक का संक्रमण फैलता है, यह कहना कि टीबी या तपेदिक किसी भी एक घर, शहर, देश या छेत्र से ख़त्म हो सकती है, यह समझदारी की बात नही है। टीबी या तपेदिक विश्व स्तर पर ही नियंत्रित की जा सकती है, और ख़त्म भी।
कनाडा के पड़ोसी राष्ट्र अमरीका में तो बोविन टीबी ने हलचल मचा रखी है। अमरीका के कई प्रदेशों में बोविन टीबी एक चुनौती प्रस्तुत कर रहा है, और मिन्नेसोता में पिछले हफ्ते ही एक अधिनियम पारित किया गया है जिसके फल्सरूप आशा है कि प्रदेश में बोविन टीबी या तपेदिक नियंत्रण मजबूत हो सकेगा।
दक्षिणी अफ्रीका के राष्ट्र बोत्स्वाना में पर्यटन मंत्रालय का कहना है कि बोत्स्वाना में टीबी या तपेदिक का कोई खतरा नही है, विशेषकर कि ड्रग-रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक। जब कि आकडे अलग तस्वीर पेश करते हैं: बोत्स्वाना में मालती-ड्रग रेसिस्तंत टीबी (MDR-TB) या तपेदिक और एक्स्तेंसिवेली ड्रग-रेसिस्तंत टीबी (XDR-TB) या तपेदिक, दोनों ही मौजूद हैं, और कुछ माह पहले ही वहाँ के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने कहा था कि बोत्स्वाना से टीबी या तपेदिक जाने वाला नही है। बोत्स्वाना में २००७ के एक शोध में ये भी प्रमाणित हुआ था कि जो लोग इसोनिअजिद थेरपी ले रहे थे, उनके दवा नियमित रूप से लेने का दर बहुत कम था. इसोनिअजिद थेरपी लोगों को टीबी से बचने के लिये दी जाती है (जिन लोगों में टीबी या तपेदिक सक्रिय नही होती है और इसोनिअजिद थेरपी लेने से टीबी सक्रिय होने की सम्भावना नगण्य हो जाती है)।
निकारागुआ में हुए शोध के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यदि टीबी या तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम चिकत्सा के बजाय लोगों को केन्द्र में रख के मानवीय बनाये जाए, तो अधिक प्रभावकारी होते है, और समाज में व्याप्त टीबी या तपेदिक से जुड़े हुए शोषण और बहिश्कार को भी कम करते हैं। इस शोध में चिक्त्सिक और स्वास्थ्य कार्यकर्ता रोगी के घर जा कर न केवल चिक्त्सकीय मदद करते थे बल्कि परिवार और मुहल्ले वालों के साथ परिचर्चा के दौरान टीबी या तपेदिक से संबंधित ज्ञानवर्धन भी करते थे और मिथियाओं का पतन भी। इससे टीबी या तपेदिक से ग्रसित लोगों को बहुत कम शोषण और बहिष्कार झेलना पड़ता था और टीबी या तपेदिक के संक्रमण की सही रोकधाम भी मुमकिन हो पाती थी।