तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: २३ मई २००८: अंक ५१

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक
५१
शुक्रवार, २३ मई २००८


भारत में टीबी या तपेदिक नियंतरण को सफल बनाने के लिये आवश्यक है कि टीबी या तपेदिक नियंतरण के कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों की प्रतिभागिता होनी चाहिए.

विशेषकर कि वह लोग जो टीबी या तपेदिक से ग्रसित हैं, या जिनको टीबी या तपेदिक संक्रमण होने की संभावना अधिक है, उनकी प्रतिभागिता अतिआवश्यक है.


ऐसा अनुमान है कि लगभग १/३ लोगों को जिनको टीबी या तपेदिक का सक्रिय रोग है, उन तक सेवाएं नहीं पहुच रही हैं. भारत में और देशों की तुलना में सराहनीय टीबी या तपेदिक नियंतरण कार्यक्रम चल रहे हैं, परन्तु टीबी या तपेदिक के रोगियों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रपट (एंटी-टीबी ड्रग-रेसिस्तंस इन द वर्ल्ड, फरवरी २००८) के मुताबिक भारत में २७ प्रतिशत टीबी या तपेदिक के रोगी ड्रग-रेसिस्तंत हैं.

टीबी विशेषज्ञ पाल सोमेर्फेल्ड ने चेन्नई में कहा कि टीबी या तपेदिक के परीक्षण के लिये नई जांच आ गई हैं, टीबी या तपेदिक के इलाज के लिये कम-से-कम एक नई दवा आने वाले ४-५ सालों में तो आ ही
जायेगी.

गैर-फेफड़ों की टीबी या तपेदिक कम पायी जाती है, और मास-पेशियों की टीबी और भी कम (१-५%). भारत में एक ६८ वर्षीय किसान के पैर की मास-पेशियों में टीबी या तपेदिक निकली. शुक्र है कि चिकित्सकों ने उसको समय से जांच कर के चिन्हित कर लिया और उपयुक्त इलाज किया. इस रोग के बारे में शोध इस महीने के जर्नल में छपा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रपट (वर्ल्ड हैल्थ स्तातिस्टिक २००८ या विश्व के स्वास्थ्य आकडें २००८) १९ मई २००८ को विमोचित हुई है.

इस रपट से साफ जाहिर है कि विश्व में आने वाले सालों में संक्रामक रोगों से मृत्यु दर कम और क्रोनिक या लंबे-देखभाल वाले गैर-संक्रामक रोगों का अनुपात बढ़ता जाएगा.

उदाहरण के तौर पर टीबी या तपेदिक, एच.आई.वी, मलेरिया, दस्त आदि की तुलना में ह्रदय रोगों, मधुमेह, तम्बाकू जनित कु-प्रभावों आदि का कही ज्यादा अनुपात होगा.

जिस प्रकार की जीवनशैली लोग अपना रहे हैं, वह इन गैर संक्रामक रोगों की जनक है. उदाहरण के तौर पर शराब और तम्बाकू के सेवन को सामाजिक स्वीकृति मिलने से, विशेषकर कि महिलाओं का शराब या तम्बाकू सेवन करने को सामाजिक स्वीकृति मिलने से, और बच्चों/ युवाओं का फास्ट-फ़ूड आदि के सेवन से जो बीमारियाँ हो रही हैं, उनमें से अधिकांश से पूर्णत: बचाव मुमकिन है.

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