तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
८ मई २००८
एशियन मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को तपेदिक या टीबी नियंत्रण को बेहतर करने के लिये हाल ही में लिखा था क्योकि ड्रग रेसिस्तात टीबी या तपेदिक से बनारस में साड़ी बुनकर गंभीर रूप से प्रभावित थे और मृत्यु दर भी बढ़ रहा था, परन्तु भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार की भूरी भूरीप्रशंसा की है कि 'उत्तर प्रदेश ने टीबी नियंत्रण के लक्ष्य पूरे कर लिये हैं चूँकि इस वर्ष उसने ६०% टीबी के मरीजों को चिन्हित किया है। पिछले वर्ष ४८% टीबी या तपेदिक के मरीज ही चिन्हित हो पाए थे'।
असलियत यह है कि विश्व में सभी देशों ने २००० में यह वादा किया था कि २००५ तक कम-से-कम ७०% टीबी के मरीजों की जांच की जायेगी और इनमें से कम-से-कम ८५% का सफलतापूर्वक इलाज किया जाएगा।
२००८ आधा खत्म होने को आया है पर उत्तर प्रदेश अभी ६०% पर ही है, और भारत सरकार उसको प्रसंशा का पात्र भी मान रही है।
जो हालात उत्तर प्रदेश में हैं, उनको ध्यान में रखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक के दर अपेक्षा से कही अधिक निकल के आएगा।
भारतीय हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने टीबी या तपेदिक के बक्टेरिया में लोहे को सोखने की प्रक्रिया समझ ली है। यह इसलिए महत्वपूर्ण उपलब्धि हो सकती है क्योकि नई टीबी या तपेदिक की दवाओं की खोज अब इस प्रकार से हो सकती है कि बक्टेरिया लोहा सोख ही न सके, जो उसके सक्रिए रहने के लिये जरुरी था। यदि ऐसा मुमकिन हो जाए तो टीबी या तपेदिक के बक्टेरिया को निष्क्रिय किया जा सकता है।
मोजाम्बिक के जेल में ९१% मृत्यु टीबी, एड्स या मलेरिया से होती है! बाकि की ९% मृत्यु आत्महत्या से होती है! यह बेहद चिंता का विषय है क्योकि विश्वस्तर पर नीतियाँ बन रही है और कुछ तो पहले से भी बनी हुई है कि जेल के भीतर कैदियों और जेल के कर्मचारियों के लिये सुविधाएँ बेहतर हों और मानवीय बनें, विशेषकर कि स्वास्थ्य सेवाएं। यह भी माना जाता है कि जेल के भीतर एड्स, टीबी, हेपेटाइटिस सी आदि की सेवाओं में तालमेल हो क्योकि अक्सर एक ही व्यक्ति इनसे संबंधित रोगों से ग्रस्त होता है। जेल के भीतर रहने का स्वच्छ मौहौल होना चाहिए जिससे संक्रामक रोगों पर नियंत्रण पाया जा सके।
अमरीका और यूरोप में ओर्गन ट्रांसप्लांट के दौरान लगभग ७ प्रतिशत टीबी संक्रमित होती है। जरा कल्पना कीजिये कि भारत जैसे देशों में ओर्गन ट्रांसप्लांट के दौरान टीबी और अन्य संक्रामक रोगों का दर क्या हो सकता है?