तपेदिक या टीबी समाचार
३० अप्रैल २००८
टीबी या तपेदिक की जांच के लिये जो माइक्रोस्कोप इस्तिमाल किया जाता है वो १०० साल पुराना है! अब फाउंडेशन फॉर इन्नोवातिव दैग्नोस्टिक (FIND) और दुनिया के प्रसिद्ध कैमरा के लेंस बनाने वालीकंपनी कार्ल जीस (Carl Zeiss) ने टीबी या तपेदिक की जांच के लिये नया माइक्रोस्कोप बनाया है।
यह नया माइक्रोस्कोप ४ गुना तेज़ी से कार्य करता है, और १० प्रतिशत अधिक सेंसिटिव है, यानी कि टीबी या तपेदिक की जांच की रपट पुराने माइक्रोस्कोप के मुकाबले १० प्रतिशत अधिक सही होने की सम्भावना है।
यह नया माइक्रोस्कोप अक्टूबर २००८ में बाज़ार में उपलब्ध कराया जाएगा।
यह भी रोचक बात है कि रॉबर्ट कोच ने १८८२ में टीबी या तपेदिक के बक्टेरियम को चिन्हित किया था, तब उन्होंने भी कार्ल जीस के ही माइक्रोस्कोप का इस्तिमाल किया था। आज भी वही १०० साल से अधिक पुराने माइक्रोस्कोप का इस्तिमाल होता है, एंड इस बात में कोई संदेह नही है कि टीबी या तपेदिक नियंत्रण के लिये नए जांच के यंत्रों की आवश्यकता है जो गावं शहर हर माहौल में सक्रियेता से कार्य कर सकें।
दिल्ली के इकनॉमिक सर्वे (Economic Survey of Delhi) में २००७-२००८ में होने वाली कुल मौतों के कारणों में ह्रदय रोग सबसे बड़ा निकल के आया है, और तपेदिक या टीबी भी कुछ प्रमुख कारणों में से एक है। दिल्ली में २००७-२००८ में होने वाली १० प्रतिशत मृत्यु के लिये ह्रदय रोग जिम्मेदार था, डायबिटीज़ या मधुमेह एक और प्रमुख कारण था और तपेदिक या टीबी भी प्रमुख कारणों में से एक था।
२००५ में दिल्ली में २ प्रतिशत मृत्यु टीबी या तपेदिक से हुई थीं और २००७-२००८ में ये दर बढ़ के ४ प्रतिशत के करीब आ गया है।