लोगों को परोक्ष धूम्रपान से बचाने के लिए कर्तव्यबध है दिल्ली सरकार

लोगों को परोक्ष धूम्रपान से बचाने के लिए कर्तव्यबध है दिल्ली सरकार

दिल्ली प्रदेश सरकार के नए अधिनियम से लोगों को परोक्ष धूम्रपान के कु-प्रभावों से बचाया जा सकेगा. २०१० के कॉमन -वेअल्थ खेलों से पहले दिल्ली को धूम्रपान रहित छेत्र बनाने का स्वप्न है दिल्ली सरकार का।

परोक्ष धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है. धुए वाले तम्बाकू उत्पादनों से निकलते हुए धुए को श्वास द्वारा भीतर लेने को ही परोक्ष धूम्रपान या 'पर्यावरण में तम्बाकू का धुआ' कहते हैं.

एक बंद जगह में जैसे कि बस, ट्रेन, कार, कमरा, रेस्तौरांत, होटल, कार्यालय, कारखाना, कोई भी कार्यस्थल, बिल्डिंग, आदि में यदि कोई भी व्यक्ति धूम्रपान कर रहा हो तो पर्यावरण में जो जलते हुए तम्बाकू से निकलता हुआ धुआ जमा हो जाता है, वो श्वास द्वारा अन्य लोगों के फेफडे में भी जाता है. इससे सबको तम्बाकू- जनित बीमारियों का खतरा होता है. शोध के अनुसार धूम्रपानी तो फिल्टर से छानते हुए तम्बाकू के धुए को श्वास से भीतर लेता है परन्तु बाकि अन्य लोग पर्यावरण में व्याप्त तम्बाकू के धुए को अच्छे खासे समय तक श्वास के जरिये लेते रहते हैं.

तम्बाकू के धुए में ४००० से अधिक रसायन होते हैं. परोक्ष धूम्रपान से ह्रदय रोग और अन्य गंभीर श्वास के एवं ह्रदय आदि के रोग होते हैं जो अक्सर जान-लेवा बन जाते हैं.

विश्व में औसतन ५० प्रतिशत बच्चे तम्बाकू के धुए में ही श्वास लेने को मजबूर हैं, यानी कि परोक्ष धूम्रपान के शिकार हैं, क्योकि अन्य कोई व्यसक धूम्र्पानी अपने और अन्य लोगों के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील नही है. इसके कारणवश बच्चों में अस्थमा का भी खतरा बढ़ जाता है.

कार्यस्थल पर अन्य धूम्र्पानियों के धुए से लगभग प्रति वर्ष २००,००० ऐसे लोग जान-लेवा तम्बाकू जनित बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं और मृत्यु का शिकार होते हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान किया ही नही था.

तम्बाकू विश्व में सबसे बडा मृत्यु का कारण है जिससे पूर्णतः बचाव मुमकिन है. हर १० व्यसक लोगों की मृत्यु में से एक का कारण तम्बाकू है. २००५ में तम्बाकू ने विश्व में ५४ लाख लोगों को मौत का शिकार बनाया (औसतन हर छण में एक मौत!).

घर में, सार्वजनिक स्थानों पर, कार्यस्थल पर, आदि, तम्बाकू रहित वातावरण सुनिश्चित करना अनिवार्य है, और अन्य लोग विशेषकर कि बच्चे जो धूम्रपान नही करते हैं, उनका स्वस्थ जीवन का अधिकार भी.

फोटो श्रेय: NDTV, WHO/ पिएर्रे विरोत