तम्बाकू उत्पादनों पर निकोटीन और टार की मात्र कब देखने को मिलेगी डॉ रामादोस?

तम्बाकू उत्पादनों पर निकोटीन और टार की मात्र कब देखने को मिलेगी डॉ रामादोस?

भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ अंबुमणि रामादोस ने कहा कि:

"अब बिना विलम्ब आकास्मक स्तर पर ६० करोड़ भारतीयों को, जिनकी उमर ३० साल से कम है, उनको तम्बाकू, शराब, और फास्ट-फ़ूड से बचाने की आवश्यकता है"

डॉ रामादोस ने फ़िल्म और खेल जगत के सितारों से अपील की कि वे लोग विज्ञापनों के जरिये शराब, तम्बाकू और फास्ट-फ़ूड आदि को समर्थन देना बंद करे. डॉ रामादोस ने कहा कि युवाओं की उमर ऐसी होती है कि वह आकर्षक जीवनशैली फैशन को देख के वो अक्सर भ्रमित हो जाते हैं.

डॉ रामादोस ने ये भी कहा कि:
"शराब के मसले पर तवज्जो देने की जरुरत है: मात्र ४ प्रदेशों में शराब प्रतिबंधित है – जम्मू कश्मीर, मिजोरम, मणिपुर और गुजरात"

स्वास्थ्य मंत्रालय के कुछ संभावित प्रयासों के बारे में डॉ रामादोस ने कहा कि सरकार सब खाद्य-पदार्थों के लिए ये जरुरी कर देगी कि वो अपनी पोषण तत्वों की जानकारी लेबल में दे. ऐसा ‘२ महीनों’ में होने की सम्भावना है. सब खाद्य-पदार्थों के पैकेट को फट, प्रोटीन, अन्य पोषण तत्त्व और कैलोरी भी दिखानी आवश्यक हो जायेगी.

परन्तु The Cigarette and Other Tobacco Products Act (2003) या सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पादन अधिनियम (२००३) के अनुसार, हर सिगरेट या तम्बाकू उत्पादनों पर निकोटीन और टार की मात्र दिखाना अनिवार्य होना चाहिए. परन्तु भारत में २००३ के इस जन-स्वास्थ्य अधिनियम को लागु करने में बहुत वक्त लगेगा.

सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पादन अधिनियम (२००३) के अनुसार:

"कोई भी व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से, न तो ऐसा तम्बाकू उत्पादन बनाये, या supply करे, या विक्रय करे जिसके लेबल पर ये न लिखा हो कि इसमे कितनी निकोटीन या टार है, और ये निकोटीन और तर की मात्र इस अधिनियम के तहत बनने वाले रूल्स के तहत ‘अधिकतम निकोटीन और तर की मात्र’ से कम होनी चाहिए"

भारत नि:संदेह अभी बहुत दूर है ऐसे जन-स्वास्थ्य के प्रति सचेत अधिनियमों को लागु करने में. अभी हाल ये है कि तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी के ऊपर चुने हुए प्रतिनिधियों की सहमति तक नही बन पा रही है, और पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री बुद्धदेब साहिब ने डॉ रामादोस की अपील और भारतीय कानून की खुली अवहेलना करने का हौसला भरा कि वो अपने कार्यालय में ही (जो सरकारी कार्यालय है) धूम्रपान करेंगे.

शराब शुक्र है कि कम से कम ४ प्रदेशों में प्रतिबंधित है परन्तु तम्बाकू एक भी शहर में प्रतिबंधित नही है जब कि ये हम भली-भाँती जानते हैं कि तम्बाकू किस कदर जन-लेवा नशा है.