तपेदिक या टीबी समाचार
शनिवार, २६ अप्रैल २००८
अफ्रीका के युगांडा देश के एक समाचार पत्र में छपे लेख में पत्रकार ने संगीन सवाल उठाया है: कि सदियों बाद भी क्यों संक्रामक रोग नियंत्रण नही हो पा रहा है जब कि इन संक्रामक रोगों का इलाज सैकडों सालों से सस्ता और उपलब्ध है।
उदाहरण के तौर पर मलेरिया, कुष्ठ रोग या लेप्रोसी, तुबेर्चुलोसिस या तपेदिक या टीबी, येलो फीवर, आदि।
इन सब बीमारियों से न केवल बचाव के प्रभावकारी तरीके आज हम सबको मालूम हैं, बल्कि इनके इलाज के लिये भी पुष्ट दवायों का इजात हुए सैकडों साल बीत चुके हैं। इसके बावजूद भी इन बीमारियों से आज भी युगांडा के लोगों को जूझना पड़ रहा है, और मलेरिया कई सालों से युगांडा में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। मलेरिया से युगांडा में ७०,००० - १,१०,००० लोगों की मृत्यु प्रति वर्ष होती है। युगांडा के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ९५% मलेरिया देश में पेरेनिअल है, यानी कि मच्छर का मौसम हो न हो, मलेरिया रोग का संक्रमण फ़ैल रहा है और लोग मर रहे हैं, और मात्र ५% मलेरिया ऐसा है जो मौसमी है!
युगांडा के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि २०-२५% जो लोग अस्पताल में जाते हैं, उसका कारण मलेरिया है! और २०% अस्पताल में भरती होने वाले लोग भी मलेरिया के कारणवश भरती होते हैं। इनमे से ९-१४% मरीजों की मृत्यु जो अस्पताल में होती है, उसका कारण भी मलेरिया है।
मलेरिया से मृत्यु होने वालों में से अधिकांश बच्चे हैं। बच्चों में मौत का सबसे बड़ा कारण आज भी मलेरिया के साथ साथ कु-पोषण, बच्चों में होने वाली अनीमिया या खून में लौह की कमी, है जिससे बच्चे मानसिक रूप से कुंठित रह सकते हैं।
मलेरिया और तपेदिक या टीबी के लिए प्रभावकारी दवाओं से लोगों को रेसिस्तंस हो रही है यानि कि ये दवाएं उनपर कारगर नही रहती।
पौष्टिक अहार लेने से जो लोग एच.आई.वी से संक्रमित हैं या जिनको टीबी या तपेदिक है, वो कई बीमारियों से बचते हैं जिनमे पेरिफेरल नयूरोपैथी विशेष है।
अमरीका के ओहियो छेत्र में लोगों को ये लगने लगा है कि तपेदिक या टीबी टू १९वी सदी में खत्म हो चुकी है! जबकि ओहियो में ही लोग टीबी या तपेदिक से ग्रसित हैं और जूझ रहे हैं। अब ओहियो के स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि लोग टीबी या तपेदिक की रोकधाम के लिए चौकन्ना रहे और हर सम्भव प्रयास करें कि टीबी या तपेदिक ओहियो में फैले नही और जो लोग इससे संक्रमित हैं, उनका पर्याप्त इलाज हो।