अमरीका के कोलोराडो जेल के कैदियों को टी.बी या तपेदिक होने से वहाँ के प्रसाशन में खलबली मच गई। बाकी अन्य कैदियों की तपेदिक या टी.बी की जांच हो रही है, सारे कर्मचारियों की एवं उनके परिवार
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परन्तु भारत जैसे विकासशील देशों में इस तरह के तपेदिक या टी.बी नियंत्रण कार्यक्रम सार्थक हो ही नही सकते क्योकि तपेदिक या टी.बी. से ग्रसित लोगों की संख्या इतनी अधिक है! न तो इतने डॉक्टर हैं और न ही इतनी सशक्त स्वास्थ्य व्यवस्था!
कई जेलों में २५ प्रतिशत से भी अधिक कैदियों को टी.बी या तपेदिक होती है, और जिन हालातों में ये कैदी रहते हैं, उनको एच.आई.वी संक्रमण होने का खतरा, हेपेटाइटिस सी होने का खतरा, और नशा करने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। जेल के कैदियों की स्वास्थ्य जरूरतें नि:संदेह तीव्र हैं परन्तु जेल में जो स्वास्थ्य व्यवस्था उबलब्ध होती है वो अक्सर आइच.आई.वी, टी.बी या तपेदिक, हेपेटाइटिस सी या नशे से निबटने के लिए पर्याप्त नही होती। ऐसी हालत में टी.बी एवं अन्य संक्रमण और अधिक फैलते हैं।