जेलों में प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण के लिए कुछ सुझाव
११ फरवरी २००८ को मैंने ६३ ऐसे कार्यक्रमों को पूरा संपन्न कर लिया है जिनमें अमरीका के दक्षिण कैरोलाइना के २८ प्रादेशिक जेलों में जो लोग तम्बाकू नशे से ग्रस्त हैं, उनको नशे-से-छुटकारा प्राप्त करने में हर संभव मदद मिलती हैं. तम्बाकू-किल्ल्स पर भारत के जेलों में प्रभावकारी तम्बाकू नियांतरण के लिए जो चर्चा हो रही है, उसमे में मैं भी भाग लेना चाहूँगा. - यदि हम ये चाहते हैं कि जेल के कैदी और अन्य कर्मचारी प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को अपना लें, तो हमें इन नीतियों की घोषणा काफी समय रहते कर देनी चाहिऐ और व्यावहारिक तम्बाकू छोड़ने के तरीकों की पुस्तिका की पर्याप्त मात्रा में कापियाँ कर के उपलब्ध करा देनी चाहिऐ.
- स्वयं मन बनाके स्वेच्छा से तम्बाकू सेवन को त्यागना और जबरदस्ती तम्बाकू सेवन परपाबन्दी लगाने से तम्बाकू का सेवन न कर पाना, दो अलग बातें हैं. एक शोध के अनुसार, ९७ प्रतिशत उन कैदियों ने, जो जेल में जबरन तम्बाकू वर्जित होने के कारण तम्बाकू-सेवन नही कर पा रहे थे, उन्होने रिहा होने के ६ महीने के भीतर पुन: तम्बाकू सेवन आरंभ कर दिया था. गुणात्मक दृष्टि से उच्च स्तर के तम्बाकू-नशा उन्मूलन के कार्यक्रमों को लागु करना चाहिऐ जिससे कि कैदियों और जेल के कर्मचारियों में ये समझ बने कि क्यो तम्बाकू सेवन उनके लिए जान-लेवा aur हानिकारक है, और उनको स्वेच्छा से ये निर्णय लेने देना चाहिऐ कि वो तम्बाकू को त्यागना चाहते हैं. जेल में जो स्वास्थ्यकर्मी हैं उनके लिए ये अतिअवश्यक है कि एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करें और न स्वयं तम्बाकू या किसी भी प्रकार के नशे का सेवन करें और न ही किसी और को करने दे.
- जेलों में तम्बाकू-रहित नीतियों को लागु करने का एक सुनहरा अवसर होता है क्योकि समाज का एक सबसे मुश्किल समुदाय कैदियों के रूप में नशा उन्मूलन के लिए कठिन चुनौती प्रस्तुत करता है. यदि हम इस समुदाय को ये समझा सकते हैं कि तम्बाकू सेवन क्यो शुरू होता है, कौन से रासायनिक और अन्य मनोवैज्ञानिक कारण है जिनके कारण युवा वर्ग अक्सर तम्बाकू सेवन आरंभ कर देता है, और तम्बाकू कंपनियों की इसमे क्या भूमिका होती है, तो निश्चित तौर पर ये लोग जब जेल से रिहा किए जायेंगे तो हमारा काम और आसान कर देंगे: युवाओं को जागरूक कर के और अन्य लोगों को ये समझा के कि क्यो तम्बाकू सेवन करना स्वयं के लिए खतरनाक और जानलेवा हो सकता है.
- यदि भारत के जेलों में तम्बाकू नशा उन्मूलन कार्यक्रम २ घंटे के अन्दर एक गुस्सैल कैदी को ऐसे शख्स में नही परिवर्तित कर सकते जो तम्बाकू नशा उन्मूलन को स्वेच्छा से स्वीकार करे, तो संभवत: हम लोग जबरन तम्बाकू नशा उन्मूलन के बजाय तम्बाकू त्यागने की प्रबल इच्छा पैदा करने में असफल रहे हैं.
- एक बार भारत में गुणात्मक दृष्टि से बढ़िया और सफल कुशल तम्बाकू नशा उन्मूलन कार्यक्रम स्थापित हो जाए तब जेल की कैंटीन से जो कैदी तम्बाकू खरीदते हैं और जो जेल के कर्मचारी तम्बाकू उत्पादन खरीदते है, उन सबका इन नशा उन्मूलन कार्यक्रमों में भाग लेना अनिवार्य कर देना चाहिऐ. ये भी सत्य बात हो सकती है कि कई उच्च स्तारिये जेल प्रसाशन के अधिकारीगण भी तम्बाकू के नशे में जकड़े हो सकते हैं, और वो पूरी कोशिश करेंगे कि कोई ऐसा प्रावधान न बने जिसके तहत वो एक नशेडी की तरह प्रस्तुत किए जाए. हमें इन सब बातों के प्रति संवेदनशील होना चाहिऐ और सब के साथ मिलजुल के इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाना चाहिऐ.
- यदि जेल के कर्मचारी तम्बाकू नशा उन्मूलन कार्यक्रमों में भाग ले, तो उनको अंदाजा होगा कि तम्बाकू नशा और अन्य 'हार्ड' ड्रग जैसे कि हेरोइन आदि, एक समान हैं. उनको ये भी अंदाजा हो जाएगा कि जो कैदी जेल में आते हैं, उनसे ये कह देना पर्याप्त नही है कि "यहा तम्बाकू सेवन प्रतिबंधित है" और वो सहायक होंगे अन्य कर्मचारी और कैदियों को तम्बाकू नशा उन्मूलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करने में जो उन सब के हित में है.
जॉन र पोलितो
तम्बाकू नशा उन्मूलन कार्यकर्ता
(Nicotine cessation educator)
संपादक: www.WhyQuit.com
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