पोस्को (POSCO) स्टील प्रोजेक्ट से उड़ीसा में कौन लाभान्वित होगा?

पोस्को (POSCO) स्टील प्रोजेक्ट से उड़ीसा में कौन लाभान्वित होगा?

डॉ सनत मोहंती और संदीप दास्वेर्मा

ये लेख सनत और संदीप द्वारा लिखा गया तीन-भाग के लेख-क्रम की आखरी कड़ी है जो उड़ीसा प्रदेश में पोस्को स्टील प्लांट का गहन मूल्यांकन प्रस्तुत करती है. इस लेख का पहला भाग, क्या उड़ीसा में आर्थिक घोटाला होने को है?, पढने के लिए यहा क्लिक्क करें (अंग्रेज़ी, हिन्दी), और दूसरा भाग, पोस्को प्रोजेक्ट उड़ीसा के लिए अभिशाप तो नही?, पढने के लिए यहा क्लिक्क करें (अंग्रेज़ी, हिन्दी).


जैसा कि पहले दो लेखों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक मूल्यांकन से जाहिर है कि पोस्को प्रोजेक्ट लोगों के हित को ध्यान में रख कर तो नही रचा गया है, सवाल ये उठता है कि आख़िर इससे किसको लाभ होगा और उड़ीसा के लोग इससे किस तरह से प्रभावित होंगे.

बस एक उम्मीद ये है कि सतर्क जन-संगठन और लोकतांत्रिक व्यवस्था जिसमे लोग भी शामिल होते हैं, वो पारदर्शिता बढ़ा सकती है और सबको जवाबदेह भी ठहरा सकती है. उदाहरण के लिए इसी लोकतांत्रिक व्यवस्था और जन-संगठनों के कारण उड़ीसा सरकार अन्य राज्यों के साथ एक संगठन के रूप में भारत सरकार से और पोस्को से बेहतर दाम के लिए मांग करने पर विवश हो गई थी. जो समझौता हुआ है (memorandum ofunderstanding ) उसमें उड़ीसा सरकार दावा करती है कि वो इस प्रोजेक्ट को रफ़्तार से आगे बढ़ाएगी परन्तु लोगों के जीवन पर इस प्रोजेक्ट का क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बारे में कोई विचार नही रखती.

उड़ीसा प्रदेश सरकार को जवाबदेह ठहराना

------------------------------

उड़ीसा के लोगों को उड़ीसा सरकार से अधिक पारदर्शी होने की मांग करनी चाहिए, और पोस्को प्रोजेक्ट की योजना की समस्त जानकारी लोगों को उपलब्ध होनी चाहिए. क्या इस योजना में ये विचार किया गया है कि इस प्रोजेक्ट से जो अवसर उड़ीसा के लोग और प्रदेश खोयेगा, उसकी कीमत क्या है? जो भू-जल या जमीन के भीतर से भारी मात्र में पोस्को स्टील प्लांट पानी निकालेगा, उसकी कीमत क्या है और उसका क्या प्रभाव पड़ेगा वहा की स्थानिये लोगों पर? जो लोग इस प्रोजेक्ट से विस्थापित हो रहे हैं, उनके पुनर्स्थापन की क्या कीमत है? ये साफ ज़ाहिर है कि प्रोजेक्ट के आस-पास कृषि कर रहे लोगों पर इसका कु-प्रभाव पड़ेगा. इस कु-प्रभाव की क्या कीमत है? लाखों लोगों की आजीविका कुंठित होगी, उसकी क्या कीमत है? ये स्पष्ट ज़ाहिर है कि इस प्रोजेक्ट से लाखों लोगों को नौकरी नही मिलेगी. कृषि में जो नुकसान होगा उसका अनुमान लगाया जा सकता है - रुपया १०० करोड़ प्रति वर्ष जो इस प्रोजेक्ट से साल भर में लोगों को प्राप्त होने वाली कुल तनख्वाह के बराबर है. इससे कई सवाल उठते हैं जिनका जवाब उड़ीसा सरकार को देना चाहिए और उड़ीसा के लोगों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि उड़ीसा सरकार जवाब दे:

* इस प्रोजेक्ट से कृषि में नुकसान का मूल्य सरकारी आक्डें क्या बताते हैं? (नि: संदेह उड़ीसा सरकार ने इसका मूल्यांकन किया होगा यदि वो बिल्कुल ही व्यर्थ नही है तो!)

* इस प्रोजेक्ट से भूजल दोहन की और प्लांट से निकलने वाले गंदे दूषित पानी का कैसे उपचार होना चाहिए, इसकी उड़ीसा सरकार ने क्या कीमत लगाई है?

* उड़ीसा सरकार इन सब चुनौतियों से निबटने के लिए क्या योजना बना रही है? इस प्रोजेक्ट से प्राप्त धनराशी से क्या वो कृषि से होने वाली हानि की भरपाई करेगी, और लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बनाएगी, शिक्षा के केन्द्र बनाएगी? या वो इस धन से लोगों के लिए लघु-उद्योग स्थापित करेगी? उड़ीसा सरकार के पास इस प्रकार की ठोस योजना होनी चाहिए और लोगों तक ये योजना पहुचनी भी चाहिए.

कुल मिलकर उड़ीसा के लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रोजेक्ट से मिलने वाला लाभ रुपया १२० करोड़ का होगा जो वार्षिक वेतन के रूप में इस प्रोजेक्ट में रोज़गार प्राप्त लोगों को मिलेगा, इस पैसे से स्थानिये अर्थ-व्यवस्था मजबूत होगी. वही दूसरी ओर उड़ीसा के लोगों को रुपया १८० करोड़ का नुकसान हो रहा है इस प्रोजेक्ट को जमीन उपलब्ध करा के, रुपया ७५ करोड़ प्रति वर्ष की मूल्य का पानी जो इस प्रोजेक्ट में इस्तिमाल होगा, रुपया १०० करोड़ प्रति वर्ष का नुकसान कृषि को होगा, और रुपया ,४०० - ,६०० करोड़ के मूल्य का कर का नुकसान इस प्रोजेक्ट की पूरी अवधि में उड़ीसा सरकार को होगा.

इसके अलावा उड़ीसा सरकार जो कोयला, १२ मेगा टन प्रति वर्ष की स्टील बनाने में लगेगा, उसकी कीमत पर और उससे संबंधित कर का नुकसान भी उठाएगी.

उड़ीसा सरकार और पोस्को के मध्य इस प्रोजेक्ट से लोगों को भारी नुकसान होगा, और इस प्रोजेक्ट से जो लाभ मिल रहा है वो नि:संदेह अत्यन्त कम है. क्या उड़ीसा सरकार ये बताएगी कि ये डील उड़ीसा प्रदेश के लिए और लोगों के लिए क्यो और कैसे लाभकारी है?

भारत में लोहे के ओर की खदानों में ओर की मात्रा लगभग १८ अरब टन है जिसमे से उड़ीसा प्रदेश में . अरब टन है. उड़ीसा सरकार पोस्को को अरब टन लोहे का ओर देने को तैयार है, जिसमे से ४०० मेगा टन कोरिया को निर्यात हो जाएगा.

उड़ीसा सरकार इस आर्थिक घोटाले की बात करने को राज़ी नही है और ही इस प्रोजेक्ट की अप्रत्यक्ष कीमत से संबंधित चर्चा पर. जो भी ऐसे सवाल उठा रहे हैं उनको उड़ीसा-प्रदेश के ख़िलाफ़ समझा जा रहा है. प्रदेश के अफसर और राजनीतिज्ञ उन लोगों को डरा धमका रहे है जो इस प्रकार के सवाल उठाने का दम रखते हैं.

ये स्पष्ट है कि ये डील उड़ीसा प्रदेश के लिए - 'जीत-जीत-हार' वाली डील है. पोस्को 'जीत' रहा है, उड़ीसा प्रदेश सरकार के राजनीतिज्ञों और अफसरों के लिए ये 'जीत' है और उड़ीसा के लोगों के लिए ये एक 'हार' का सौदा है.

कोई भी तर्क या कारण समझ से परे है जो ये सफ़ाई दे सके कि इस प्रोजेक्ट से क्यो लोहे के ओर इतनी कम मूल्य पर और किन शर्तों पर बेचे जा रहे है! परन्तु ये डील अभी हुई नही है, और जागरूक सतर्क और सचेत उड़ीसा के लोग ही उड़ीसा सरकार को आर्थिक और विकास के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह ठहरा सकते हैं.

हमारा ये भी मानना है कि इस प्रोजेक्ट में विस्थापन और पुनर्स्थापन का मुद्दा भी लोगों का ध्यान बाटने का प्रयास है. इस डील से रुपया २५०,००० करोड़ जो पोस्को को सब्सिडी आदि के जरिये प्राप्त होगा, उसपर लोगों का ध्यान ही नही है.

ये एक कारण हो सकता है कि क्यो पोस्को के प्रतिद्वंदी कम्पनियाँ जैसे कि टाटा, मित्ताल्स एंड जिन्दल्स आदि खामोश है, क्योकि सम्भावता उनको भी कुछ इसी तरह से मगर छोटे स्तर पर उड़ीसा सरकार ने जायज़-नाजायज़ लाभ दिए होंगे.

पोस्को स्टील प्रोजेक्ट में आर्थिक मुद्दे को केंद्रीय मुद्दा मानना चाहिए, ऐसा हमारा मानना है, और सरकार को जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराना चाहिए.

उड़ीसा सरकार की भ्रष्टाचार की ओर झुकाव को देख कर ये लगता है कि इस प्रोजेक्ट के मूल्यांकन में और हर कदम पर लोगों की भागीदारी अति-आवश्यक है जिससे कि एक पारदर्शी प्रक्रिया कायम हो सके और लोगों को ये पता रहे कि जो पैसा इस प्रोजेक्ट से प्राप्त हो रहा है, वो कहाँ खर्च किया जा रहा है और उससे लोग सही मायने में कहा तक लाभान्वित हो रहे हैं? और ऐसी प्रक्रिया के लिए संघर्ष में मुख्य भूमिका उड़ीसा के ही लोगों को निभानी चाहिए.

डॉ सनत मोहंती और संदीप दासवर्मा

---------------------

ये लेख सनत और संदीप द्वारा लिखा गया तीन-भाग के लेख-क्रम की आखरी कड़ी है जो उड़ीसा प्रदेश में पोस्को स्टील प्लांट का गहन मूल्यांकन प्रस्तुत करती है. इस लेख का पहला भाग, क्या उड़ीसा में आर्थिक घोटाला होने को है?, पढने के लिए यहा क्लिक्ककरें (अंग्रेज़ी, हिन्दी), और दूसरा भाग, पोस्को प्रोजेक्ट उड़ीसा के लिए अभिशाप तो नही?, पढने के लिए यहा क्लिक्क करें (अंग्रेज़ी, हिन्दी).