सर्कस के टीबी-ग्रसित हाथियों से दर्शक खतरे में
सर्कस के टीबी-ग्रसित हाथियों से दर्शकों को भी टीबी होने का बहुत अधिक खतरा रहता है। १९९३-२००५तक दुनिया के कई प्रमुख सर्कस के हाथियों की रपट देखने के बाद और अन्य शोध के आधार पर ये तथ्यसामने आए हैं।
लगभग सभी प्रमुख सिर्चुसों में हाथियों को वही टीबी या तपेदिक जो मनुष्य को होती है, पायी गई है।जब सर्कस में खेल प्रदर्शन के दौरान हाथी मंच पर आते हैं, और चिंघाड़ते हैं तो सूँड से अपने गले के भीतरसे थूक की बौछार दर्शकों पर करते हैं, जिससे बच्चे विशेषकर प्रभावित होते हैं। ये सभी दर्शकों को, विशेषकर कि बच्चों को और उन लोगों को जिनके शरीर की प्रतिरोधक छमता कम है (जैसे कि जो लोगएच.आई.वी से ग्रसित हैं, या बुजुर्ग हैं, या बच्चे है, या अन्य रोग से ग्रसित हैं जिससे कि उनकी अपनेशरीर की प्रतिरोधक छमता पहले से ही कम है, ऐसे लोगों में टीबी संक्रमण फैलना का खतरा बहुतअधिक रहता है।
सर्कस के हाथियों में जब टीबी या तपेदिक पायी गई और वही टीबी या तपेदिक का कीटाणु जो मनुष्य कोहोता है, तब सर्कस के मालिकों ने मनुष्य वाली ही टीबी या तपेदिक की दवाएं हाथियों को भी दे दी।क्योकि हाथियों को कितनी मात्रा में टीबी या तपेदिक की दवा दी जाए ये ज्ञात नही था, तो अक्सरहाथियों पर इन दवायों ने असर करना बंद कर दिया। दवा देने में लापरवाही से भी ऐसा हो सकता है किटीबी या तपेदिक की दवाएं असर्दायक नही रहे। ऐसी स्थिति में ड्रग-रेसिस्तांस उत्पन्न हो जाती है, औरयदि ये हाथी किसी को टीबी या तपेदिक से संक्रमित करेंगे तो उसको भी ड्रग रेसिस्तंत वाली टीबी होजायेगी - यानि कि टीबी की दवा कारगर नही रहेगी।
न केवल दर्शक बल्कि सर्कस के अन्य कर्मचारी और जो लोग हाथियों के सम्पर्क में आते हैं, उनको भीटीबी या तपेदिक होने का खतरा है। ये भी चिंता का विषय है कि सर्कस एक जगह से दूसरी जगह घूमतेरहते है, और किसी भी एक शहर या कसबे में लंबे समय तक नही रहते। टीबी या तपेदिक का इलाज एकलंबे समय तक चलने वाला इलाज है और दवायों को नियमित रूप से लेना अति आवश्यक है। यह अपनेआप में एक चुनौती है कि कैसे इन तपेदिक या टीबी से ग्रसित हाथियों को सफलतापूर्वक टीबी का इलाजकरवाया जाए। यह व्यावहारिक है ही नही कि टीबी या तपेदिक से ग्रसित हाथियों को महीनों के लियेअस्पताल में भरती करवा दिया जाए, इसके लिये सर्कस के मालिक भी तैयार नही होंगे।
अमरीका के USDA को १५ साल से अधिक लग गए हैं, यदपि सबूत और शोध आदि १९९३ से थे किसर्कस के हाथियों को टीबी या तपेदिक हो तो मनुष्य को भी हो सकती है। सर्कस के हाथियों में टीबी यातपेदिक होने पर मनुष्य में संक्रमण के बारे में अधिक जानकारी के लिये, पढ़ें: दा एलेफंत इन दा रूम (The Elephant in the room).
सर्कस में हाथियों में टीबी या तपेदिक का दर ५०% से अधिक पाया गया है क्योकि हाथियों में आपस मेंही टीबी या तपेदिक बहुत आसानी से फैलती है, संभवत: इसलिए कि जिन हालातों में वो रहते हैं, वोटीबी या तपेदिक के संक्रमण को फैलने में और मददगार साबित होते हैं।