क्या कोका-कोला के बोतलबंद पानी में गरम हवा भरी है?

क्या कोका-कोला के बोतलबंद पानी में गरम हवा भरी है?
शेयरहोल्डर और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोका कोला कीहरीछवि को चुनौती दी

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१६ अप्रैल २००८ को कोका कोला की शेयरहोल्डर बैठक में जब कोका कोला ये प्रयास कर रहा था कि वो दुनिया की पानी की समस्या का समाधान कर रहा है और एक ‘जिम्मेदार’ उद्योग है, कई सामाजिक कार्यकर्ता औरशेयरहोल्डर ने ये सवाल खड़ा कर दिया कि: क्या कोका कोला के बोतलबंद पानी में सिर्फ गरम हवा भरी है?

इस वार्षिक बैठक से पहले कोका कोला ने हर बोतल पर पानी की गुनात्मकता के बारे में जानकारी छापने के सुझाव को खारिज कर दिया था. पिछले साल भी कोका कोला की शेयरहोल्डर बैठक में ये सुझाव आया था और क्योकि इसको दुगने वोट मिले थे, इस सुझाव पर कोका कोला को पुन: विचार करना पड़ा.

कोका कोला के उत्पादनों, जिनमे बोतलबंद पानी भी शामिल है, की गुनात्मकता कीजांच से संबंधित सवालों को कोका कोला नज़रंदाज़ करता रहा है, जबकि कोका कोला अपने उत्पादनों की गुनात्मकता के बारे में इतनी बढ़-चढ़ के बात करता है कहना है गिगी केल्लेत्त का, जो Corporate Accountability International (उद्योगों को जवाबदेह ठहराने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन) के राष्ट्रीय निदेशक हैं. “लोग इस दुविधा में हैं कि आख़िर कोका कोला क्या छुपा रहा है!” कहा गिगी केल्लेत्त ने.

कोका कोला ने अपने उपभोगताओं को ये भी बताने से मना कर दिया है कि वो अपने बोतलबंद पानी के लिए पानी कहा से लाता है! हालांकि एक दूसरी कंपनी जो बोतलबंद पानी (अकुँफिना) बनाती है, पेप्सी, उसने ये मान लिया है कि वो अपने उपभोगताओं को ये बताएगा कि पेप्सी पानी कहा से लाता है. दक्षिण-पूर्वी अमरीका से भारत तक के उन छेत्रों में जहाँ सूखा पड़ने का खतरा अधिक है, कोका कोला भू-जल निकालता आ रहा है.

इसके बजाय कि कोका कोला पानी की गुनात्मकता पर जानकारी दे, बोतलबंद पानी पर लेबल लगाये कि पानी कहा से निकाला गया है और जिन छेत्रों में सूखा पड़ने का खतरा रहता है, वहा से भू-जल का दोहन बंद करे, कोका कोला अपनी जिम्मेदार उद्योग की छवि का गुणगान करने में व्यस्त है:

TERI रपट: The Energy and Resource Institute (TERI), या उर्जा और संसाधन संस्थान की रपट जिसको कोका कोला बहुचर्चित करने में लगा हुआ है और अपनी ‘पर्यावरण-के-लिए-समर्पित’ छवि को बनाने में व्यस्त है, परन्तु ये ५०० पेज की रपट गंभीर सवाल उठती है जैसे कि जिन छेत्रों में कोका कोला के बोतलबंद पानी के प्लांट हैं, वहा पर जल-स्तर नीचे चला गया है. इस रपट में ६ ऐसे प्लांट का सर्वे हुआ है और ६ में से ३ प्लांट ऐसे छेत्रों में हैं जहाँ जल-दोहन पहले से ही काफ़ी अधिक है, यानी कि जल स्तर सामान्य से कही अधिक नीचे है.

इस रपट के अनुसार, ‘कोका कोला के जल संग्रक्षण कार्यक्रम सिर्फ उद्योगपतियों के लिए महत्त्व रखता है और न कि लोगों के लिए, विशेषकर वो लोग जो हाशिये पर रहते हैं और जो सबसे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं.

यही बात भारत के जन-संगठन कितने बरसों से कह रहे हैं. “इस रपट के जरिये कोका कोला अपनी काली करतूतों को सफ़ेद-पोश करना चाहता था” कहना है र अजयन का जो प्लाचीमाडा सोलिदारिटी कमिटी का प्रतिनिधित्व करते हैं. “कोका कोला अपनी छवि को साफ करने में एक बार फिर नकामयाब रहा है” कहा अजयन ने.

The CEO Water mandate: ये एक स्वयं सेवी कार्यक्रम है जिसको संयुक्त राष्ट्रों ने समर्थन दिया है कि कैसे उद्योग पानी के संसाधनों के संग्रक्षण में भूमिका निभा सकते हैं. परन्तु ३५ देशों से १२५ से अधिक लोगों का मानना है कि इस रपट में जो सुझाव दिए गए हैं उनपर अमल करने की योजना नही दी हुई है और संयुक्त राष्ट्र पर उद्योगों की काली करतूतों को सफेदपोश करने का आरोप लग सकता है. इसीलिए इस रपट को ‘अपनी छवि सुधारने का प्रयास’ की तरह देखा जा रहा है.

कोका कोला के पर्यावरण गठबंधन: कोका कोला ने वर्ल्ड विल्ड-लाइफ फंड से गठबंधन किया है जिसके अनुसार कोका कोला ने अमरीकी डालर २० मिलियोन का आर्थिक सहयोग वर्ल्ड विल्ड-लाइफ फंड को दिया है, जो जल संग्रक्षण के सात कार्यक्रमों को विकसित करेगा. परन्तु लोगों का कहना है कि: “कोका कोला जब दुनिया भर में अपने बोतलबंद पानी के प्लांटों में जल का दोहन करता आ रहा है, और स्थानिये लोगों कि पहुच से पानी को दूर कर रहा है. ऐसी स्थिति में इसका वर्ल्ड विल्ड-लाइफ फंड के साथ जल संग्रक्षण के कार्यक्रम समझ से परे हैं. जल संग्रक्षण करना है तो पानी का दोहन बंद होना चाहिए”

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पैटी लीन
काम्पैग्न निदेशक
कार्पोरेट अच्कोउन्ताबिलिटी इंटरनेशनल
(उद्योगों कि जवाबदेही बढ़ने के लिए समर्पित अंतर्राष्ट्रीय संगठन)
www.stopcorporateabuse.org
फ़ोन: ६१७-६९५-२५२५
फैक्स: ६१७-६९५-२६२६
ईमेल: plynn@stopcorporateabuse.ओआरजी

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